शिमला (Himachal Pradesh):
हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के स्तर को सुधारने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए प्रदेश सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। हिमाचल प्रदेश स्कूल शिक्षा बोर्ड (HPSEB) ने 294 निजी स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी है, क्योंकि इन स्कूलों ने बोर्ड द्वारा निर्धारित पाठ्यक्रम और किताबों का पालन नहीं किया।
यह कार्रवाई उन स्कूलों पर की गई है जो बोर्ड द्वारा अनुमोदित पुस्तकों की बजाय निजी प्रकाशकों की किताबें प्रयोग कर रहे थे। बोर्ड की जांच में यह बड़ी गड़बड़ी सामने आने के बाद स्कूलों की मान्यता तुरंत रद्द कर दी गई।
21% निजी स्कूलों पर गिरी गाज
राज्य में कक्षा 9वीं से 12वीं तक लगभग 1,400 निजी स्कूल हिमाचल बोर्ड से संबद्ध हैं। इनमें से करीब 21% यानी 294 स्कूलों की मान्यता रद्द की गई है। यह कार्रवाई राज्य में शिक्षा की एकरूपता और गुणवत्ता बनाए रखने की दिशा में अब तक का सबसे सख्त कदम माना जा रहा है।
डॉ. (मेजर) विशाल शर्मा, सचिव – हिमाचल शिक्षा बोर्ड ने कहा कि सभी संबद्ध स्कूलों को यह स्पष्ट निर्देश दिए गए थे कि वे केवल बोर्ड द्वारा अनुमोदित पाठ्यक्रम और पुस्तकों का ही प्रयोग करें।
उन्होंने कहा,
“इन स्कूलों ने मान्यता की शर्तों का उल्लंघन किया है। निजी प्रकाशकों की किताबों का इस्तेमाल न केवल अनुचित है बल्कि छात्रों के शैक्षणिक स्तर को भी प्रभावित करता है।”
जांच के दौरान स्कूलों से पुस्तक खरीद बिल और स्रोत दस्तावेज मांगे गए थे, जिससे यह साबित हुआ कि कई संस्थान वर्षों से गैर-मान्यता प्राप्त किताबों का उपयोग कर रहे थे।
शिक्षा सुधारों की बड़ी पहल
यह कार्रवाई हिमाचल प्रदेश की सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के व्यापक शिक्षा सुधार कार्यक्रम का हिस्सा है। पिछले तीन वर्षों में प्रदेश सरकार ने 1,500 से अधिक स्कूलों को बंद किया है, जो या तो छात्रों की कम संख्या या शिक्षा की निम्न गुणवत्ता के कारण संचालित नहीं हो पा रहे थे।
साथ ही, सरकार ने राज्य के 100 स्कूलों को CBSE बोर्ड से जोड़ने की घोषणा की है, ताकि हिमाचल की शिक्षा व्यवस्था को राष्ट्रीय स्तर के मानकों के अनुरूप बनाया जा सके। इससे छात्रों को बेहतर अवसर और प्रतिस्पर्धी माहौल मिलेगा।
नई शैक्षणिक नीतियों की दिशा में कदम
प्रदेश सरकार शिक्षा को आधुनिक और भविष्य उन्मुख बनाने के लिए कई नवाचारों पर काम कर रही है —
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राजीव गांधी डे बोर्डिंग स्कूल्स और स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस की स्थापना की जा रही है।
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अंग्रेज़ी शिक्षा कक्षा 1 से शुरू करने की पहल हो चुकी है ताकि बच्चों की भाषा दक्षता बढ़े।
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स्मार्ट अटेंडेंस ऐप, डिजिटल लाइब्रेरी और स्कूल क्लस्टर मॉडल जैसे तकनीकी कदमों से शिक्षा प्रणाली में पारदर्शिता और संसाधन-साझेदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है।
सरकार का लक्ष्य है कि हिमाचल का हर बच्चा केवल किताबों तक सीमित न रहे, बल्कि सृजनात्मक सोच, आलोचनात्मक दृष्टिकोण और व्यावहारिक कौशल के साथ आगे बढ़े।
छात्रों के हितों की चिंता भी जरूरी
विशेषज्ञों का मानना है कि यह कार्रवाई निश्चित रूप से शिक्षा में अनुशासन लाने का संकेत है, लेकिन साथ ही यह भी आवश्यक है कि प्रभावित छात्रों के हितों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।
बोर्ड को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिन स्कूलों की मान्यता रद्द की गई है, उनके छात्रों की पढ़ाई और परीक्षा प्रक्रिया पर कोई नकारात्मक असर न पड़े।
