Rashtra View Digital Desk | New Delhi
भारत में कामगारों के अधिकारों में बड़ा बदलाव हुआ है। मोदी सरकार द्वारा लागू किए गए चार नए लेबर कोड के बाद अब ओवरटाइम, न्यूनतम वेतन, सोशल सिक्योरिटी और समान वेतन को लेकर नियम पहले से अधिक स्पष्ट और कर्मचारी-हितैषी हो गए हैं।
देश में करोड़ों कर्मचारी रोजाना तय समय से अधिक काम करते हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को यह नहीं पता कि उन्हें ओवरटाइम के बदले कितना पैसा मिलना चाहिए। आइए समझते हैं — भारत में ओवरटाइम का कानून क्या कहता है और इसका भुगतान कैसे तय होता है।
ओवरटाइम के नियम क्या हैं?
भारत में ओवरटाइम का नियम इन तीन प्रमुख कानूनों के तहत तय होता है:
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Factories Act, 1948
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Minimum Wages Act
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State Shops & Establishment Acts
इन कानूनों के मुताबिक:
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9 घंटे प्रतिदिन या 48 घंटे प्रति सप्ताह से ज्यादा काम = ओवरटाइम
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ओवरटाइम का भुगतान नियमित प्रति घंटा वेतन का दोगुना (Double OT Rate) देना अनिवार्य
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कर्मचारी की सहमति के बिना ओवरटाइम नहीं कराया जा सकता
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महिला कर्मचारियों के लिए रात में अतिरिक्त काम कराने पर विशेष सुरक्षा व्यवस्था जरूरी
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कंपनी को ओवरटाइम रजिस्टर में सही रिकॉर्ड रखना अनिवार्य
भारत में ओवरटाइम का भुगतान कैसे तय होता है?
ओवरटाइम भुगतान का सूत्र (Formula):
Monthly Salary ÷ 26 ÷ 8 = प्रति घंटा वेतन
ओवरटाइम रेट = प्रति घंटा वेतन × 2 (Double OT)
रोज़ 2 घंटे ओवरटाइम करने पर कितना पैसा मिलेगा?
उदाहरण:
➡️ कर्मचारी की Monthly Salary = ₹26,000
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प्रति घंटा वेतन = 26,000 ÷ 26 ÷ 8 = ₹125/hour
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ओवरटाइम रेट = 125 × 2 = ₹250/hour
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रोज़ 2 घंटे OT = 250 × 2 = ₹500/day
👉 अगर महीने में 20 दिन ओवरटाइम किया:
500 × 20 = ₹10,000 सिर्फ ओवरटाइम से!
ओवरटाइम की अधिकतम सीमा
Factories Act के अनुसार:
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एक कर्मचारी प्रति तिमाही 144 घंटे से अधिक ओवरटाइम नहीं कर सकता
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कई राज्यों में यह सीमा थोड़ी अलग हो सकती है, लेकिन हर जगह ओवरटाइम की एक limit तय है
नए लेबर कोड 2025 में क्या खास है?
सरकार के अनुसार 2025 से लागू नए श्रम कानून कामगारों के लिए बड़ी राहत लेकर आए हैं:


