Rashtra View — National Desk
गाजियाबाद एक बार फिर देश का सबसे प्रदूषित शहर बनकर सुर्खियों में है। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के ताज़ा आंकड़ों के अनुसार शहर का AQI 430 तक पहुंच गया, जिसे ‘Severe’ श्रेणी में रखा जाता है। प्रदूषण के स्तर में तेजी इतनी भयानक है कि गाजियाबाद ने दिल्ली जैसे शहर को भी पीछे छोड़ दिया है, जो दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में शामिल रहा है।
लगातार बिगड़ती हवा ने लोगों का स्वास्थ्य बिगाड़ दिया है और अस्पतालों में सांस, एलर्जी, अस्थमा व आंखों की जलन से पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़ रही है।
🚨 तो क्यों बना गाजियाबाद देश का सबसे प्रदूषित शहर?
वैज्ञानिकों और पर्यावरण विशेषज्ञों के अनुसार गाजियाबाद में AQI बढ़ने के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
🔹 1. धूल (Dust Pollution) — सबसे बड़ा कारण
गाजियाबाद में निर्माण कार्य, खुले में उड़ती सड़क की धूल, और जमीन के कटाव के कारण हवा में PM 2.5 और PM 10 का स्तर बेहद ऊँचा है।
🔹 2. वाहनों का धुआं (Vehicular Emissions)
दिल्ली–मेरठ, दिल्ली–गाजियाबाद–मुरादनगर कॉरिडोर पर भारी ट्रैफिक रहता है।
डीजल वाहनों व पुराने ऑटो, बसें और भारी वाहन बड़ी मात्रा में प्रदूषण फैलाते हैं।
🔹 3. फैक्ट्रियों और इंडस्ट्री का उत्सर्जन
लोनी, मोदीनगर, साहिबाबाद और विजयनगर इंडस्ट्रियल क्षेत्रों में कई फैक्ट्रियाँ बिना प्रदूषण नियंत्रण के धुआं छोड़ती हैं।
🔹 4. कचरा जलाना (Garbage Burning)
सर्दियों में खुले में कचरा जलाने की घटनाएँ बढ़ती हैं, जो एयर क्वालिटी को ‘जहरीला’ बना देती हैं।
🔹 5. हवा की धीमी रफ्तार (Low Wind Speed)
सर्दियों में हवा की स्पीड कम होने से प्रदूषण जमीन पर जम जाता है और AQI रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाता है।
🔹 6. प्रदूषण रोकने के उपायों की कमी
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न स्मॉग टावर
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न क्लाउड सीडिंग
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न एंटी-स्मॉग गन्स
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निर्माण स्थलों पर भी नियमों का पालन नहीं
विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक सख्त और तेज कार्रवाई नहीं होगी, गाजियाबाद “गैस चेंबर” बना रहेगा।
📉 AQI ने फिर पार की सारी सीमाएं
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20 नवंबर: AQI 430 (Severe)
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17 नवंबर: निजी मॉनिटरिंग एजेंसियों के अनुसार AQI 800+
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19 नवंबर: लगातार देश के सबसे प्रदूषित शहरों में नंबर 1
दिल्ली और नोएडा को भी पीछे छोड़ते हुए गाजियाबाद लगातार लिस्ट में टॉप कर रहा है।
🔬 दिल्ली के वैज्ञानिक ने बताया—कैसे घटेगा AQI?
एक पर्यावरण वैज्ञानिक के अनुसार:
“केवल प्रतिबंध लगाने से प्रदूषण नहीं घटेगा। सड़क की धूल नियंत्रण, इंडस्ट्री मॉनिटरिंग, इलेक्ट्रिक वाहनों का उपयोग और हॉट-स्पॉट पर रियल-टाइम उपाय ही हवा सुधार सकते हैं।”


