🌄 प्राकृतिक आपदा के बीच उम्मीद की किरण!
हिमाचल की वादियों में आई तबाही ने कई जिंदगियों को खतरे में डाल दिया, लेकिन इंसानियत और साहस ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मुश्किल समय में साथ खड़े लोग ही असली ताकत होते हैं। जानिए कैसे मणिमहेश यात्रा में फंसे हजारों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला गया और किस तरह स्थानीय लोग व प्रशासन मिलकर जीवन बचाने में जुटे रहे!
हिमाचल पर टूटा पहाड़: मणिमहेश यात्रा में संकट, लेकिन इंसानियत ने बचाईं अनगिनत जानें
हिमाचल की वो धरती, जिसे कभी हरे-भरे जंगलों और शांत बहती नदियों के लिए जाना जाता था, आज भारी बारिश और भूस्खलनों से जूझ रही है। चंबा, कुल्लू, मंडी, कांगड़ा और शिमला में सडक़ें बंद हैं, बिजली ठप है, और आम लोग रोज़मर्रा की ज़िंदगी के लिए संघर्ष कर रहे हैं। बावजूद इसके, इस त्रासदी के बीच इंसानियत ने राहत की किरण दिखाई।
मणिमहेश यात्रा के दौरान भारी लैंडस्लाइड में फंसे हजारों श्रद्धालु मदद की गुहार लगाते रह गए। ठंडी हवाओं और फिसलन भरे रास्तों ने हालात और कठिन बना दिए। लेकिन रेस्क्यू टीमें, सेना, प्रशासन और स्थानीय लोगों ने मिलकर दिन-रात प्रयास कर सभी फंसे लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला। भारतीय वायु सेना के हेलीकॉप्टर एमआई-17 से दो दिनों में 500 से ज्यादा लोगों को एयरलिफ्ट किया गया। सभी श्रद्धालुओं को चंबा से उनके गंतव्यों तक नि:शुल्क भेजा गया।
इस संकट की घड़ी में स्थानीय लोग, लंगर चलाने वाले, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, पुलिस और प्रशासन ने मिलकर मानवता की मिसाल पेश की। भले ही यात्रा पूरी नहीं हो सकी, लेकिन श्रद्धालुओं का विश्वास कायम है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस अभियान में लगे सभी लोगों की सराहना की और कहा कि हिमाचल की मिट्टी में वही जज़्बा और हिम्मत है, जो इसे फिर से खड़ा करेगी।
आपके विचार क्या हैं? धार्मिक यात्राओं के दौरान सुरक्षा और व्यवस्थाओं को बेहतर बनाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए? नीचे कमेंट में बताइए!