पंजाब के पूर्व डीआईजी (DIG) हरचरण भुल्लर को रिश्वतखोरी के एक गंभीर मामले में सीबीआई (CBI) ने गिरफ्तार कर लिया है। अदालत ने उन्हें पांच दिन की सीबीआई रिमांड पर भेज दिया है, जबकि उनके सहयोगी कृष्णनू को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया है।
सीबीआई की टीम ने भुल्लर को 5 लाख रुपये की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा था। मामले की सुनवाई गुरुवार को चंडीगढ़ स्थित विशेष सीबीआई अदालत में हुई। सुनवाई के दौरान भुल्लर के वकील ने रिमांड का विरोध करते हुए कहा कि “सीबीआई को पंजाब में जांच करने या गिरफ्तारी का अधिकार नहीं है,” लेकिन सीबीआई के वकील ने अदालत को बताया कि भुल्लर के बैंक खातों में दो महीने में करीब ₹32 लाख रुपये जमा कराए गए हैं, जो उनकी नियमित आय से मेल नहीं खाते।
अदालत ने भुल्लर के वकील की यह याचिका भी स्वीकार की कि वे अपने मुवक्किल से रोजाना मुलाकात कर सकें। अदालत ने आदेश दिया कि भुल्लर अपने वकील से हर दिन शाम 4 से 5 बजे के बीच मुलाकात कर सकते हैं।
मामले से जुड़े सूत्रों के अनुसार, सीबीआई आने वाले दिनों में भ्रष्टाचार से जुड़े बड़े खुलासे कर सकती है। जांच एजेंसी अब भुल्लर के बैंक लेनदेन, संपत्तियों और संपर्कों की गहराई से जांच कर रही है।
सीबीआई ने कहा है कि इस केस में कई अन्य अधिकारियों के नाम भी सामने आ सकते हैं। जांच एजेंसी का दावा है कि यह रिश्वतखोरी का एक बड़ा नेटवर्क हो सकता है, जिसकी तह तक पहुंचने के लिए रिमांड जरूरी थी।
इस घटनाक्रम के बाद पंजाब में एक बार फिर भ्रष्टाचार विरोधी कार्रवाई पर बहस तेज हो गई है। जनता अब यह जानना चाहती है कि आखिर सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार पर लगाम कब लगेगी।
✍️ निष्कर्ष:
पूर्व डीआईजी हरचरण भुल्लर के खिलाफ यह मामला पंजाब में प्रशासनिक ईमानदारी और जवाबदेही पर गंभीर सवाल खड़े करता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सीबीआई की जांच किन-किन खुलासों तक पहुंचती है।
