चंडीगढ़।
हरियाणा सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए अब छोटे अपराधों पर सजा नहीं देने का निर्णय लिया है। इसके तहत मामूली तकनीकी या प्रक्रियात्मक चूकों को गैर-आपराधिक अपराधों की श्रेणी में डाल दिया गया है। इस फैसले से न केवल आम नागरिकों को राहत मिलेगी, बल्कि राज्य में व्यापारिक माहौल को और पारदर्शी बनाने में भी मदद मिलेगी।
⚖️ हरियाणा जन विश्वास (संशोधन) अधिनियम लागू
प्रदेश सरकार ने ‘हरियाणा जन विश्वास (प्रावधानों में संशोधन)’ अधिनियम को लागू कर दिया है। इस कानून का उद्देश्य 17 विभागों के अधिनियमों में संशोधन करके उन्हें गैर-आपराधिक बनाना है।
अब ऐसी स्थितियों में जहां पहले आपराधिक दंड (सजा या जेल) का प्रावधान था, वहां अब केवल दीवानी दंड या प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी। इससे न केवल व्यापार को सुगम बनाया जा सकेगा बल्कि छोटे व्यापारियों और नागरिकों पर कानूनी बोझ भी कम होगा।
राज्यपाल प्रो. असीम कुमार घोष ने शनिवार को इस अधिनियम को मंजूरी दे दी, जिससे यह कानून अब आधिकारिक रूप से लागू हो गया है।
📜 हर तीन साल में बढ़ेगा जुर्माना, पर न्याय के सिद्धांत रहेंगे कायम
सरकार के अनुसार, इस अधिनियम के तहत अब हर तीन वर्ष के बाद न्यूनतम जुर्माने की राशि में 10 प्रतिशत की वृद्धि की जाएगी।
साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया गया है कि सुनवाई के बिना किसी पर जुर्माना नहीं लगाया जाएगा, ताकि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन हो सके।
🏭 14 अधिनियमों में 1,113 अनुपालन खत्म, 37 अपराध गैर-आपराधिक घोषित
सरकार ने बताया कि कुल 14 अधिनियमों के तहत 1,113 अनुपालन समाप्त कर दिए गए हैं।
इसके अलावा 37 छोटे प्रावधानों को अपराध मुक्त घोषित किया गया है।
इससे उद्योग जगत को राहत मिलेगी और राज्य में ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस (Ease of Doing Business) को और बढ़ावा मिलेगा।
💰 अब इन मामलों में लगेगा सिर्फ जुर्माना, नहीं होगी सजा
सरकार ने कुछ छोटे अपराधों के लिए केवल जुर्माने का प्रावधान रखा है —
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सार्वजनिक स्थान पर पशु बांधने पर ₹500 का जुर्माना।
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लाइसेंसधारी प्लंबर द्वारा तय शुल्क से अधिक वसूलने पर ₹500 का जुर्माना।
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सार्वजनिक जगह पर धोबी द्वारा कपड़े धोने पर ₹500 का जुर्माना।
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हरियाणा जिला बोर्ड अधिनियम के तहत अब ₹5,000 का जुर्माना।
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शहरी निकाय क्षेत्र में सुअर पालने पर ₹5,000 का जुर्माना।
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झूठा बयान देने पर ₹50,000 का जुर्माना लगाने का प्रस्ताव।
