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हरियाणा: महिला सफाईकर्मियों से पीरियड्स साबित करने के लिए पैड की फोटो मांगने पर MDU के तीन कर्मचारी निलंबित, मामला दर्ज

Sumansorey
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हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय (MDU), रोहतक में महिला सफाईकर्मियों के साथ अमानवीय व्यवहार का मामला सामने आया है। पुलिस ने गुरुवार को विश्वविद्यालय के तीन कर्मचारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। इन कर्मचारियों पर आरोप है कि उन्होंने महिला सफाईकर्मियों से उनके पीरियड्स साबित करने के लिए सैनिटरी पैड की तस्वीरें भेजने को कहा।


📅 राज्यपाल के दौरे से ठीक पहले हुआ मामला

यह शर्मनाक घटना 26 अक्टूबर को उस समय हुई जब विश्वविद्यालय में हरियाणा के राज्यपाल असीम कुमार घोष के दौरे की तैयारी चल रही थी।

पीड़ित महिलाओं ने विश्वविद्यालय प्रशासन को दी शिकायत में बताया कि उनके पर्यवेक्षकों (सुपरवाइजर्स) ने उन्हें तेज़ी से काम करने के लिए मजबूर किया। जब उन्होंने बताया कि वे मासिक धर्म (Menstruation) के कारण अस्वस्थ हैं, तो उन पर शर्मनाक तरीके से “सबूत” दिखाने के लिए कहा गया


👩‍🦰 महिला कर्मचारियों की शिकायत पर हरकत में आई पुलिस

महिला कर्मचारियों की शिकायत के बाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने मामला रोहतक पुलिस को सौंपा। जांच के बाद पुलिस ने तीन कर्मचारियों — एक सुपरवाइजर और दो ठेकेदारों — के खिलाफ महिला सम्मान और गोपनीयता का उल्लंघन करने के आरोप में FIR दर्ज की।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि आरोप बेहद गंभीर हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि यह घटना गवर्नर के दौरे से पहले सफाई व्यवस्था को लेकर बनाए गए दबाव के कारण हुई।


⚖️ विश्वविद्यालय प्रशासन ने की कार्रवाई

MDU प्रशासन ने कहा कि इस तरह का व्यवहार किसी भी परिस्थिति में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
तीनों आरोपित कर्मचारियों को तात्कालिक प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है और विश्वविद्यालय की आंतरिक जांच समिति को पूरा मामला सौंप दिया गया है।

विश्वविद्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा —

“हम महिला कर्मचारियों की गरिमा और गोपनीयता की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। दोषियों को कड़ी सजा दी जाएगी।”


🚨 सामाजिक संगठनों का विरोध प्रदर्शन

घटना सामने आने के बाद कई महिला संगठनों और मानवाधिकार समूहों ने विश्वविद्यालय प्रशासन और राज्य सरकार से इस मामले में त्वरित न्याय की मांग की है।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि यह मामला महिला गरिमा और श्रम अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और इसे उदाहरण बनाकर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।

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